मेरे साथी:-

Saturday, February 13, 2016

है इनपे धिक्कार

सियासती ये लोग चंद, है इनपे धिक्कार ।
भारत में रहकर करे, पाक की जय जय कार ।।
पाक की जय जय कार, लगे विरोधी नारे ।
पुलिस महकमा शांत क्यों, देशद्रोही ये सारे ।।
हो उचित कार्रवाई जल्द, जेल में इनको डालो ।
देश रक्षा पर राजनीति, छोड़ सियासत वालो ।।

कश्मीर की आजादी, माँग है ये बदरंग ।
भारत से कैसे पृथक, है अभिन्न ये अंग ।।
है अभिन्न ये अंग, हिम्मत न कर इतना ।
जन-जन ये दिखला देगा, देश में ताकत कितना ।।
धैर्य है कमजोर नहीं, जो उठ गया शमशीर ।
बलुचिस्तान भी जायेगा, मांगा जो कश्मीर ।।

ले धर्म का नाम ये,  करते हैं कुकर्म ।
मानवता के दुश्मन ये, नहीं कोई है धर्म ।।
नहीं कोई है धर्म, मातृभूमि न जाने ।
भारत को बर्बाद करें, ऐसा ये सब माने ।।
कब तक ऐसे देखते, रहेंगे हम जन आम ।
कुछ भी क्यों कर जाये ये, ले धर्म का नाम ।।

शहीद उसे है कह दिया, जो आतंक का नाम ।
ताक पे जिसने रख दिया, देश का ही सम्मान ।।
देश का ही सम्मान बस, करो अगर है रहना ।
देश की जनता जागी है, अब नहीं है सहना ।।
शर्म करो ओ गद्दारों, आतंक के मुरीद ।
देश के लिए जान दे, हैं बस वही शहीद ।।

-प्रदीप कुमार साहनी

1 comment:

  1. अरे वाह, क्या खूब लिखते हैं आप। शानदार लेखन के लिए आपको बधाई।

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप