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Friday, January 7, 2011

वो आँखें

वो आँखें झील की जैसी, प्यार ही प्यार है जिसमे,
अपनत्व की उमड़ती धारा, उसमे ही तकदीर नज़र आती है |

भोली-भाली सी आँखें, बोझिल होती सपनो के भार से,
प्यार के जल की छलक जिसमे, उसमे ही तस्वीर नज़र आती है |

आकान्छाओं से भरी वो आँखें, लेकर तमन्नाओ का सागर,
चाहत पूरा करने की जिसमे, उसमे कल्पना की ज़ंजीर नज़र आती है |

मोतियाँ ढ़ोती वो भीगी आँखें, कुछ कहने को उतावली-सी,
दिल की बातों का पुलिंदा लिए, उसमे इशारों की तफ़सीर नज़र आती है |

खुलती बंद होती सी पलकें, होठों की मुस्कराहट को समेटे,
खुशियों को पाकर खुश होती, उसमे अपनों की तहरीर नज़र आती है |

जीवन रस से भरी आँखें, देखकर ही जिसे जीवन मिल जाये,
जीने की चाहत-सी जगाती, उसके बिना जिंदगी गैरहाज़िर नज़र आती है |

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