मेरे साथी:-

Friday, June 20, 2008

ऐसे हैं हम

अश्कों को यूँ ही पी लेते हैं,
ज़ख्मों को ख़ुद ही सी लेते हैं,
भुलाकर हर गम को हम तो,
जिंदगी को शान से जी लेते हैं।

गम के मौसम में भी खुश हो लेते हैं,
खुशियाँ देते हैं, गर गम हम जो लेते हैं,
जब तेरी याद दिल में दस्तक देती है,
छुप-छुप के हम थोड़ा रो लेते हैं।

जीवन-ताल में जब गोटा लगा लेते हैं,
सीप के मोती का भी पता लगा लेते हैं,
ठान जब लेते हैं हम कुछ करने का
तो अंधेरे में भी सही निशाना लगा लेते हैं |

कांटे भी दामन में भर लेते हैं,
दोस्तों से भी कभी डर लेते हैं,
जिंदगी का पता जिंदगी से पूछ,
जिंदगी को हम खुश कर लेते हैं।

बन के बादल दिलों में छा लेते हैं,
दूसरो में अपनी मंजिल पा लेतेहैं,
फूलों को देख कर खुश होते हम,
जिंदगी को गीत बना गा लेते हैं।

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-प्रदीप